Wednesday, November 14, 2007
इस साल कि दिवाली
इस साल मेरे घर पर दिवाली फिर से मनाई गयी। दिवाली से दो तीन दिन पहले, हमने सफायें शुरू की। पूरे घर को चमका दिया। मैं यह तो नहीं कह सकती के मैंने खुद सफएं कीं थी, लेकिन मैंने घर को बोहुत अच्छी तारा सजाया था। चारों और दिए जालाये थे, और मम्मी ने बाहर लाईटेइन भी लगाई। हमारा घर पूरे नय्बुर्हूद में सबसे सजा हुआ घर था। पहले तो मम्मी और पापा काफी सारे लोगों के घर गए, सबको दिवाली की मुबारकबाद देने। फिर हमारे करीबी दोस्त हमारे घर आये। हमने मिल कर खूब मिठाईयां खाई, और थोडे से चुटकले वगेरा भी सुनाये। मामा और मामी भी काफी देर बेठे रहे थे। सब लोगों के जाने के बाद, हमने घर में पूजा की। फिर मम्मी पापा ऑफिस की पूजा करने चले गए। मैं, प्रतीक और माजी ने बैठकर थोडी सी हिन्दी फिल्म: कारन अर्जुन देखी। दिवाली वाले दिन टी.वी। चैनलों पर भी अच्छी अच्छी फिल्में दिखा रहे थे। जब पापा और मुम्मी लौटे तो हमने मिलकर खाना खाया और फिर आराम से टी.वी। देखा। पापा और प्रतीक तो जल्दी ही सोगाये थे, लेकिन मैंने और मम्मी ने रात को फुल्जदियाँ चलायी। यह थी हमारी दिवाली, ज्यादा शोर शराबा तो नहीं था, लेकिन परिवार के साथ वक़्त गुजारने का समय तो मिला।
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