Wednesday, October 10, 2007
bharat ke bachchey
पिछले साल भारत कि सर्कार ने कानून बनाया था जिसमे लिखा था के चौदन साल या चोटी उमर के बचे काम नहीं कर सकते. लेकिन, सेव द चिल्ड्रेन ग्रुप ने यह पता लगाया है कि आज भी १.२ करोड़ बचे काम कर रहें है. इन में से २ लाख बचे या तो घरों में नौकार हैं, या फिर दुकानों में चोटी मोती नौकरियां करते हैं. इस कानून के मुताबेय ना तो यह गरीब बचे नौकर का काम कर सकते हैं, बल्की वे होटल, रेस्तौरांत, चाय कि दुकानों में भी नहीं काम करसकते. लेकिन इस कानून के पास होने सय कोई फरक नहीं पड़ा. आज भी उतने ही बचे यही काम कर रहें है. अब तक सिर्फ २२२९ केसेस ही रिपोर्ट हे हैं. सरकार कहती है कि इन बचों को कम पय्गर मिलती है, और अगर कोई वे गलत काम करें तो उन्हें पीटा भी जाता है, तो फिर सरकार इस कानून पर ज़्यादा दबाव क्यों नहीं दाल रही है. मेरे दादी के पास भी एक चोटी लडकी काम करती है, लेकिन हमें तो पता भी नहीं के यह कानून के खिलाफ है. मुझे लगता है कि सरकार को बेहतर अद्वेर्तिस्मेंत करनी चाहिऐ ताकी लोगों को पता तो चले.
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