Wednesday, November 7, 2007
मेरा सबसे अच्छा दोस्त
दो साल पहले जब मैने अपना स्कूल फिनिश किया था, मुझे ऐसा लगता था के मैं फिर कभी इतने अच्छे दोस्त बना पाऊँगी. लेकिन कालेज के पहले साल में मैं हिन्दी कि क्लास में एक लड़के से मिली. मुझे क्या पता था कि वोह मेरे इतने करीब आजाएगा के उससे रोज़ बात न करूं तो मेरा दिन पूरा नहीं होता. लोग बोहुत बातें भी करते हैं-कि एक लड़का और लड़की सिर्फ दोस्त कैसे हो सकते हैं लेकिन हम किस्सी कि भी नहीं सुनते. मुझे पता है कि हमारे बीच सिर्फ दोस्ती ही है तो मुझे क्या ज़रूरत पड़ी किस्सी कि बातों पर गोर करने कि. कालेज के पहले साल से हमारी दोस्ती गहरी ही होती गयी. क्लास के बाद हम सीदा लीग जाते थे लंच खाने के लिए. उस सेमेस्टर के बाद, हम गर्मी कि चुतियों में भी मिलते रहे, कभी अ.र. रहमान के कंसर्ट या कभी नयी फिल्में देखने जाते। मेरी बोहुत सी सहेलियां हैं, लेकिन लड़कियों के साथ खूब ड्रामा भी आता है, इस्सी लिए मुझे मेरे सबसे आचे दोस्त के साथ वक़्त गुजरना अच लगता था. अगले साल, यानी कि मेरे कॉलेज के दूसरे साल में हमने इअसा शो भी किया, और फिर हमने एक नाटक में भी हिस्सा लिया. हम हमेशा हस्ती खेलते रहते हैं, और मुझे यह बोहुत अच्छा लगता है. पिछले गर्मी कि चुतियों में हमारे बीच बोहुत बड़ी लड़ाई हो गयी, और हमने दो तीन महीने एक दूसरे से बिल्कुल बात नहीं कि. मुझे बोहुत दुःख हुआ कि मेरा सबसे अच दोस्त मेरे से दूर हो गया. उसको हमारी दोस्ती से ज्यादा दृग्स से प्यार हो गया था, और इस्सी लिए हम अपने अलग रास्ते चले गए. इस साल कि शुरुवात में, उसका एक दो बारी फ़ोन आया, लेकिन मैंने उससे बिल्कुल बात नहीं कि, लेकिन तीसरी बारी मैंने उसका फ़ोन उठाया. वोह मेरेय्से मिलना चाहता था, और मेरे से कुछ बातें करना चाहता था। मैने उससे मिलने के लिये हाँ तो कह्दी लेकिन मुझे उससे बात करने का कोई शोंक नहीं था. उस दिन उसने मुझे बताया कि क्या क्या हुआ, उसका दिमाक कैसे चलने लग गया, और उसने बताया कि जो भी उसने किया वोह गलत था. दो तीन हफ्ते बाद मुझे लगा कि वोह सच्ची बदल न चाहता है, और मैंने उससे फिर से अपना लिया. अब हमारी दोस्ती पहले से भी पक्की है और में इस बात से खुश हूँ कि मुझे अपना सबसे अच दोस्त वापिस मिल्गाया.
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1 comment:
muskurana hi khusi nahi hoti umar bitana hi zindagi nahi hoti khud se jyada khyal rakhna padhta he apne dost ka kyoki dost kahna hi DOSTI nahi hoti. manish.
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